Thursday, September 26, 2013

जब किले में हजारों औरतों ने खुद को जिंदा जला दिया, क्यूंकि....

PHOTO : जब किले में हजारों औरतों ने खुद को जिंदा जला दिया, क्यूंकि....
जयपुर। दुनिया में सबसे अधिक किले और गढ़ यदि कहीं हैं तो वो राजस्थान में। राजस्थान के किसी भी हिस्से में चले जाइए, कोई न कोई दुर्ग या किला सीना ताने आपका इंतजार करता हुआ मिल जाएगा। आज हम बात करत हैं एक ऐसे ही दुर्ग की। जो अपनी खासियतों के कारण पूरी दुनिया में ख्यात है। इस किले का नाम है गागरोन। झालावाड़ जिले में स्थित यह किला चारों ओर नदी होने से घिरा हुआ है। जिसके कारण इसका नाम ही पड़ गया जल-दुर्ग।
कालीसिंध व आहू नदी के संगम स्थल पर बना यह दुर्ग आसपास की हरी भरी पहाडिय़ों की वजह से पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। गागरोन दुर्ग का विहंगम नजारा पीपाधाम से काफी लुभाता है। इन स्थानों पर लोग आकर गोठ पार्टियां करते हैं। लोगों के लिए यह बेहतर पिकनिक स्पॉट है।
गागरोन का किला अपने गौरवमयी इतिहास के कारण भी जाना जाता है। सैकड़ों बरस पहले जब यहां के शासक अचलदास खींची मालवा के शासक होशंग शाह से हार गए थे तो राजपूत महिलाओं ने खुद को दुश्मनों से बचाने के लिए जौहर कर दिया था। सैकड़ों की तादाद में महिलाओं ने मौत को गले लगा लिया था। इलाके में आज भी इन महिलाओं की बहादुरी के किस्से चर्चित हैं।
PHOTO : जब किले में हजारों औरतों ने खुद को जिंदा जला दिया, क्यूंकि....
इस शानदार धरोहर को कुछ महीने पहले ही यूनेस्को ने अपनी वर्ल्ड हेरिटेज साइट की सूची में शामिल किया है। इसके अलावा प्रदेश के पांच अन्य पहाड़ी किलों (दुर्ग) को भी शामिल किया गया है। इनमें आमेर महल, कुंभलगढ़, जैसलमेर, रणथंभौर और चित्तौड़ हैं। अब प्रदेश की आठ धरोहर दुनिया के नक्शे पर आ गई हैं। भरतपुर का घना पक्षी अभयारण्य और जयपुर का जंतर-मंतर सूची में पहले से ही हैं।
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अब गागरोन किले में यूनेस्को की टीम का सितंबर में आना प्रस्तावित है। गागरोन किले को विश्व धरोहर बनाए जाने के बाद यह टीम पहली बार झालावाड़ पहुंचेगी। टीम के सदस्य गागरोन किले में जाकर पर्यटकों के लिए किए गए विकास कार्य और सुविधाओं का जायजा लेंगे।
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गागरोन का किला झालावाड़ से करीब दस किलोमीटर दूर स्थित है। 722 हेक्टेयर भूमि पर फैला हुआ यह किला जल-दुर्ग होने के साथ साथ पहाड़ी दुर्ग भी है। यह एक ओर पहाड़ी तो तीन ओर से जल से घिरा हुआ है। किले के दो मुख्य प्रवेश द्वार हैं। एक द्वार नदी की ओर निकलता है तो दूसरा पहाड़ी रास्ते की ओर।
PHOTO : जब किले में हजारों औरतों ने खुद को जिंदा जला दिया, क्यूंकि....
इतिहासकारों के अनुसार, इस दुर्ग का निर्माण सातवीं सदी से लेकर चौदहवीं सदी तक चला था। पहले इस किले का उपयोग दुश्मनों को मौत की सजा देने के लिए किया जाता था।
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किले के अंदर गणेश पोल, नक्कारखाना, भैरवी पोल, किशन पोल, सिलेहखाना का दरवाजा महत्पवूर्ण दरवाजे हैं। इसके अलावा दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, जनाना महल, मधुसूदन मंदिर, रंग महल आदि दुर्ग परिसर में बने अन्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल हैं।

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